नए उजाले की शुरुआत
पूरी रात जागकर
मैंने चाँदनी को निहारा ,
चाँद ,एक सपने जैसा सुंदर था ,
नीली -नीली आकाश गंगा की दूधिया लहरों में तैरता हुआ
अकेलेपन का सहारा 'मुठ्ठीभर सितारों के साथ
विस्तृत नीलाभ गगन में
प्रतीक्षारत सूर्य की सुनहली रश्मिरथी पर
और तभी क्षितिज पर सूर्योदय हुआ
नई उम्मीदों और आशाओं के साथ प्रतीक्षा
की समाप्ति के साथ
यूँ मेरे सुंदर दिन की शुरुआत हुई
No comments:
Post a Comment