Sunday 22 May 2011

नारी



नारी
नारी  तुम  कोमल  नहीं क्रान्तद्रष्टा  हो 
तुम्हे अपनी जिंदगी  जीने का पूरा हक है 
तुम केवल एक  बेटी ,बहिन
  या माँ नहीं हो  
    तुम्हारा व्यकितत्व      एक समूचा  खंड  है  
तुम्हारा जीवन सिर्फ पतझड 
का  ही नहीं  अपितु पतझड़ के बाद 
वसंत का भी अधिकारी है 

तुम एक  संपूर्ण दर्पण  हो 
दर्पण के  बिखरने  पर भी 
तुम पूर्ण    रूप हो

                  



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