Saturday 24 March 2012

भावकणिका

ये आसमाँ ,ये बादल
ये शाम का धुऑ
ये झूमती हवाएँ
ये मंदिरों की घंटियाँ
ये खिलखिलाती बच्चियाँ
ये चहचहाती चिड़ियाँ
बड़े अच्छे लगते हैं
 ये कितने पास हैं हमारे
हम कितने दूर हैं इनसे





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