Thursday, 3 November 2011

mehak

महक
 एक  क्यारियों  वाला घर
जामुन ; अनार और
नीबू के  पेड़ों से सजा
तितलिओं से भरा
जवाकुसुम ;चंपा के पुष्पों
से ढका


बरसात में उठती
मिटटी  की सोंधी महक से महकता
 वो घर
अक्सर याद आता है /
ढेरों स्मृतियों  में
अक्सर क्यारियों
की मेड़ें
 फांदती  घर की ओर दोरती
 अपने कमरे तक पहुचती हू/  मगर फिर वापस क्यारियों में लोट  जाती हू 
तितलियों
 ओर फूलों के बीच

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